11 Aug 2015

संधि और उसके भेद : हिंदी व्याकरण

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संधि और उसके भेद
संधि : संधि शब्द का अर्थ है – मेल या मेल-मिलाप । दो समीपवर्ती वर्णों (ध्वनियों) के मेल से होने वाला परिवर्तन संधि कहलाता है, जैसे –
हाथ + कड़ी = हथकड़ी, नर + ईश = नरेश, उत् + लास = उल्लास, सत् + जन = सज्जन ।
संधि प्रायः दो तत्वों या घटकों के बीच होती है। यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि संधि दो ध्वनियों के बीच होती है न कि शब्दों के बीच।

संधि-विच्छेद : संधि शब्द को अलग-अलग करना संधि-विच्छेद कहलाता है, जैसे –
उद्धार = उत् + हार, नरेंद्र = नर + इंद्र ।

संधि के नियम

1. महाप्राणीकरण और अल्पप्राणीकरण
महाप्राणीकरण : अल्पप्राणीकरण ध्वनि + ह = महाप्राणीकरण, जैसे -
तब + ही = तभी
अल्पप्राणीकरण : महाप्राणीकरण ध्वनि का अल्पप्राणीकरण, जैसे -
दूध वाला – दूद वाला

2. लोप : दो हिंदी शब्दों की संधि में किसी एक ध्वनि का लोप हो जाता है, जैसे –
किस + ही = किसी

3. आगम : दो स्वरों के बीच में य का आगम हो जाता है, जैसे –
नदी + ओं = नदियों

4. हृस्वीकरण : सामासिक पदों में पूर्व पद का दीर्घ स्वर प्रायः हृस्व हो जाता है, जैसे –
आम + चूर = अमचूर

5. सादृशीकरण : दो भिन्न ध्वनियाँ एकरूप हो जाती हैं, जैसे –
पानी + घाट = पनघट

संस्कृत के शब्दों में तीन प्रकार के संधि नियम हैं –
2. व्यंजन संधि

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